अक्सर बहुत से ब्लॉगर नियमित पोस्ट पब्लिश करते रहने के बावजूद अपने ब्लॉग को सर्च पेज SERP (Search Engine Result Page) में सही तरीके से रैंक नहीं कर पाते है।
हालाँकि हमेशा फ्रेश कंटेंट लिखने के बाद भी उनको कोई फायदा नहीं मिलता है।
इन सभी के नुकसान का सबसे बड़ा करना SEO Site Optimization का बेसिक जानकारी का भी नहीं होना शामिल है।
यह आपको हमेशा बेहतर पोस्ट या आर्टिकल पब्लिश करने के लिए प्रेरित करता है, ताकि आप कम समय में अच्छा रिजल्ट हासिल कर सके।
यही वजह है कि बहुत सारे SEO कम्पनियाँ आपको इस पर हमेशा काम करने का सलाह देते रहते है।
वैसे देखा जाए तो इस टॉपिक पर आपको सैकड़ो पोस्ट आपको इंटरनेट में मिल जाएँगे, जो ज्यादातर इंग्लिश भाषा में होते है और अगर आपका इंग्लिश रीडिंग कमजोर है, तो शायद ही यह आपको SEO के बारे में सही तरीके से बता पाएगा।
तो अगर इसके बारे में आप हिंदी भाषा में जानना चाहते है, तो इस पोस्ट को एन्जॉय कर सकते है।
[Tweet “SEO- What & Why Use of Search Engine Optimization in Hindi”]
Table of Contents
What is SEO in Hindi
SEO का पूरा नाम Search Engine Optimization है। यह एक रेगुलर प्रैक्टिस है ताकि आपके पेज को सर्च पेज (गूगल, बिंग) में उच्च रैंक मिल सके।
इसमें शामिल होता है टेक्निकल और लॉजिकल टैक्टिस, जिनके संयुक्त इस्तेमाल के कारण आप अपने नए ब्लॉग या साईट को कम कंटेंट के बावजूद भी सही तरीके से रैंक कर पाते है।
It’s the practice of increasing both the quality and quantity of website traffic, as well as exposure to your brand, through non-paid (also known as “organic”) search engine results.
—MOZ Blog
यह गैर-भुगतान (जिसे ऑर्गेनिक के रूप में भी जाना जाता है) खोज इंजन परिणामों के माध्यम से वेबसाइट ट्रैफ़िक की गुणवत्ता और मात्रा दोनों को बढ़ाने की प्रथा है।
—Translated
Why Need of SEO
अगर आपका कोई फिजिकल दुकान है और इसे ऑनलाइन करना चाहते है या फिर कोई ब्लॉग है, तो इसके बारे में जानना बहुत जरुरी है।
किसी भी ऑनलाइन शॉपिंग साईट के लिए प्रोडक्ट को ज्यादा-से-ज्यादा सेल करना अति-आवश्यक है और इसके लिए आपको जितना हो सके अपने प्रोडक्ट को लोगों तक पहुँचाना होगा।
या फिर आप एक ब्लॉगर है और खुद का ब्लॉग चला रहा है, तो जाहिर है आपका हमेशा कोशिश होगा ज्यादा लोगों तक अपने ब्लॉग पोस्ट को पहुँचाना।
क्योंकि जितना ज्यादा लोग आपके पोस्ट को पढ़ेंगे, उतना ज्यादा कमाई होने का चांस होता है और यह कमाई एड्स, एफिलिएटेड लिंक, डोनेशन (दान), इ-बुक सेलिंग के द्वारा होता है।
पर इस तरह से कमाई करना आसान नहीं होता है। हालांकि वेबसाइट या ब्लॉग विजिबिलिटी को बढ़ाने के लिए आप गूगल एडसेंस, बिंग एड्स का भी इस्तेमाल कर सकते है, पर इससे तो सेलिंग आपका बढ़ जाएगा पर कमाई संभव नहीं है।
क्योंकि इस तरह के प्रचार करने के लिए पे करना होता है और यही वजह है कि इस तरह का तरीका कोई नहीं बताना चाहता है। हालांकि पेज को जल्दी बूस्ट करने के लिए इसका थोड़ा इस्तेमाल करना चाहिए, पर निर्भरता सही नहीं है।
ऐसे बहुत से कारण है, जो आपको SEO पर काम करने के लिए प्रेरित कर करेगा:
Cost Effective
किसी भी इंडस्ट्री में प्रोडक्ट का लागत एडवरटाइजिंग के कारण बहुत बढ़ जाता है। एडवरटाइजिंग जैसे खर्चीले प्रोसेस को टर्मिनेट करने के लिए seo बहुत ही फायदेमंद होता है।
SEO Is Not A Cost But An Investment
—Search Engine Land
हालांकि यह तकनीक बहुत ज्यादा टाइम लेता है किसी और प्रोसेस के तुलना में, साथ ही यह फ्री होता है और कमाई अगर करना चाहते है, तो इस प्रोसेस में जाना ही होगा।
Primary Source of Traffic
किसी भी साईट या ब्लॉग का सक्सेस होना इस बात पर निर्भर करता है कि उसका ट्रैफिक कहाँ से आ रहा है। सामान्यत: ट्रैफिक सोशल मीडिया साईट, डायरेक्ट साईट विजिटिंग, और सर्च इंजन के द्वारा आता है।
यकीन मानिए अगर आपका ट्रैफिक सर्च पेज से नहीं आ पा रहा है, तो फिर मुश्किल है और इसी सवाल का हल सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन है।

तो यहाँ पर मैंने Moz साईट का ट्रैफिक देखने कि कोशिश कर रहा हूँ और यहाँ आप देख सकते है कि आर्गेनिक कीवर्ड 715,590 है और मंथली आर्गेनिक ट्रैफिक 1,313,143 है।

और यहाँ देख सकते है कि टॉप पेज पर कितना-कितना ट्रैफिक कौन-से सोर्स से आ रहा है।
पहले नंबर जो पेज है एस्टीमेट विजिट 403,767 है और जिसमे सोशल शेयर फेसबुक से 1568 है और पिनटेरेस्ट से 287 है।
और जब मैंने moz साईट का टोटल ट्रैफिक देखना चाहा तो

टोटल ट्रैफिक में 29% तो सीधा सर्च पेज से आता है। हालांकि इस तरह के साईट एड्स का भी इस्तेमाल करते है और इसी के वजह से आर्गेनिक ट्रैफिक 29% दिखा रहा है।
पर जब मैंने Backlinko साईट का ट्रैफिक देखना चाहा तो

आर्गेनिक ट्रैफिक 58% दिखा रहा है और इसका सबसे बड़ा वजह है कि बैकलिंको किसी तरह का एडवरटाइजिंग नहीं करता है और अपने कमाल के content और seo strategy के वजह से सर्च पेज से ही 58% ट्रैफिक प्राप्त हो जाता है।
तो जाहिर है क्यों आपको एसइओ पर काम करने की जरुरत है।
How to Work SEO
तो अब सवाल आता है seo कैसे काम करता है। इसका काम समझने के लिए सर्च इंजन साईट जैसे गूगल, बिंग को जानना पड़ेगा।
आपको मालूम होना चाहिए अगर आर्गेनिक ट्रैफिक खुद के ब्लॉग या साईट में ड्राइव करना है, तो अपने ब्लॉग को किसी टॉप सर्च साईट में सबमिट करना होता है।
और जब आप साईट सबमिट कर देते है, तो इस तरह का साईट आपके ब्लॉग को एक्सेस करता है और इसके बाद यह तीन तरह से काम करता है:
Crawling
हर सर्च इंजन के पास एक क्रॉलर होता है, जो एक कंप्यूटर सॉफ्टवेयर होता है और खास तरह के इंट्रक्शन को फॉलो करता है। इसे स्पाइडर, वेब क्रॉलर या बोट भी कहते है।
और सभी साईट का अलग-अलग बोट होता है। गूगल के बोट को गूगल बोट कहते है। इसके दो प्रकार है: मोबाईल बोट और डेस्कटॉप बोट।
यह ह्यूमन के तुलना में फ़ास्ट और सुरक्षित तरीके से काम करता है।
जब भी साईट लॉन्च होता है, तब इस तरह का बोट पुरे साईट को क्रॉल करता है, यहाँ क्रॉल का मतलब खींचना होता है और इस प्रोसेस को क्रॉलिंग कहते है।
Indexing
और क्रॉल करने के बाद जो भी वैलिड कंटेंट होता है, जिसे आसानी से एक्सेस किया जा सकता है, उन सब का एक सेपरेट लिस्ट तैयार किया जाता है और इसी प्रोसेस को इंडेक्सिंग कहते है।
इस तरह के प्रोसेस में सिर्फ एक्सेसिबल लिंक को ही इंडेक्स करते है और जो लिंक एक्सेस नहीं हो पा रहा होता है, उसे पेंडिंग कर देते है।
यह इंडेक्सिंग एक तरह से कोई फ़ोन बुक होता है, जिसमे करोड़ों या अरबों साईट का लिस्टेड होता है।
सबसे बड़ी बात जिस साईट को भी इंडेक्स किया जाता है उसके सभी पोस्टों, इमेजेज और वीडियोस को भी फ़ाइल नेम के साथ सेव किया जाता है।
Ranking
और जब भी कोई phrase या word को सर्च पेज में सर्च करते है, तब यह किसी साईट के पेज या पोस्ट को रैंक वाइज लिस्टेड करता है।
कौन-सा पेज 1st या 2nd लिस्ट शो करेगा यह बहुत से बातों पर निर्भर करता है, जिसके बारे में हम सभी आगे जाकर बात करने वाले है।
बेसिक रूप से SEO को दो पार्ट में बांटा गया है:
On-Page SEO
ऑन-पेज SEO’s को ऑन-साईट SEO’s भी कहते है। इसपर लगातार बेहतर काम करने से रिजल्ट SERP’s में रैंक भी बेहतर आता है।
दरअसल इस तरह के तकनीक के अंतर्गत इंडिविजुअल पेज या पोस्ट पर अलग-अलग टाइम देकर काम किया जाता है, ताकि सभी पेज रिजल्ट पेज में सही तरीके से रैंक करें और इसका फायदा भी मिले।
On-page SEO (also called on-site SEO) is the practice of optimizing individual web pages to rank higher in search engines and get more organic traffic.
—Ahrefs Blog
ऑन-पेज एसईओ (जिसे ऑन-साइट एसईओ भी कहा जाता है) व्यक्तिगत वेब पेजों को खोज इंजन में उच्च रैंक करने और अधिक कार्बनिक ट्रैफ़िक प्राप्त करने के लिए अनुकूलित करने का अभ्यास है।
—ट्रांसलेशन
इस तरह का एक्टिविटीज किसी भी पोस्ट को पब्लिश/अपडेट करने से पहले अप्लाई किया जाता है। इसमें शामिल होता है:
- रिसर्च: पोस्ट लिखने से पहले या इसके दौरान अच्छा कंटेंट लिखने के लिए अलग-अलग सौर्सो से प्राप्त जानकारी पर रिसर्च करना।
- कीवर्ड: कीवर्ड किसी भी साईट का मूल आधार होता है यह नए और मरणासन्न साईट को परफॉर्म करने में हमेशा मददगार साबित होता है।
- मीडिया फाइल्स: पोस्ट को अट्रैक्टिव बनाने के लिए इमेज/वीडियो का इस्तेमाल करने से यूजर एंगेजमेंट टाइम बढ़ता है।
ऑन पेज एसइओ के अंतर्गत: पोस्ट के बहुत से पार्ट को अलग-अलग रिसर्च करके ऑप्टिमाइज़ किया जाता है:
Title
किसी पेज का टाइटल बहुत महतत्वपूर्ण भाग होता है, अगर इसे सही तरीके से ऑप्टिमाइज़ नहीं किया जाता है, तो वेबसाइट को रैंक करने में बहुत टाइम लग जाता है।
तो शायद यही कारण है कि बहुत से सक्सेसफुल ब्लॉगर इस पार्ट पर हमेशा ध्यान देने की सलाह देते है।
इसलिए जब भी आप टाइटल लिख रहे होते है, तो कम से कम एक कीवर्ड का जरुर इस्तेमाल करे और उसका वॉल्यूम आपके साइट के ऑथोरिटी और बैकलिंक के हिसाब से होना चाहिए, ताकि इसे रैंक करने में ज्यादा समय ना लगे।
Meta Description
टाइटल के तरह है मेटा डिस्क्रिप्शन भी सही तरह से लिखना चाहिए, ताकि यूजर एंगेजमेंट टाइम में सुधार हो सके।
अगर आप ब्लॉगिंग के फील्ड में नए है, तो आपको पहले पता चलना चाहिए कि आखिर meta description क्या होता है। अगर यही पता नहीं होगा तो इसे इम्प्रूव कैसे करेंगे।
The meta description is an HTML attribute that provides a brief summary of a web page.
—Moz Blog
तो मेटा डिस्क्रिप्शन एक तरह के किसी पेज का short summery होता है, जिससे पोस्ट किस टॉपिक के बारे में सटीक जानकारी मिलता है।
सर्च पेज में जो भी पोस्ट लिस्टेड होता है, वहां पर जो टाइटल के ठीक बाद कोई समरी दिखाई देता है, उसे ही मेटा डिस्क्रिप्शन कहते है।
वैसे अगर आप इसे सेट नहीं करते है, तो गूगल जैसे साईट खुद से आपके tags और word चुन कर इसे जेनरेट कर देते है।

यहां (टॉप) पर शायद यह सर्च इंजन के द्वारा ही जेनरेट हुआ है, इसलिए टैग्स जैसे समरी दिखा रहा है।

लेकिन अगर आप खुद से सेट करते है, तो ऐसा दिखता है।
Permalink
पेज का यूआरएल इस तरह से होना चाहिए कि इसे आसानी से याद किया जा सके, इसलिए बाकि के फालतू एलीमेंट जैसे नंबर, random text को हटा देना चाहिए।
पर्मालिंक को सिंपली लिंक या वेब लिंक भी कहा जाता है।

जैसे मैं सिम्पल Post Name वाला परमानलिंक इस्तेमाल करता हूँ। लेकिन इसे सेट ब्लॉगिंग के शुरुआत में ही करना चाहिए, बाद में चेंज करने के सर्च विजिबिलिटी पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है और आपका कई पोस्ट बैकलिंक खो देता है।
Alt Tags
किसी वीडियो या इमेजेज फाइल्स में हमेशा alt attribute का इस्तेमाल करें, इससे वह फाइल्स सर्च इंजन में एक्सेसिबल के लायक होगा और साईट रैंकिंग इम्प्रूव होगा।
वैसे alt attribute के बारे में अलग से बढ़िया पोस्ट जल्द ही पब्लिश करने वाला हूँ, ताकि इसके बारे में सब कुछ आपको पता चल जाए।
Internal Linking
किसी ब्लॉग के ही सभी या कुछ पोस्टों को पेज लिंक के माध्यम से जोड़ना ही Internal Linking कहलाता है।
इसमें आप कोई नया पोस्ट लिखते है या अपडेट करते है और इस दौरान इसी पोस्ट में आप दूसरे पोस्ट को लिंक कनेक्ट कर देते है।
इस तकनीक से यूजर आपके साईट में engage रहता है और साईट का रैंक भी सही होता है।
Off Page SEO
इससे पहले आपने on page seo के बारे में जाना, पर अब off page seo के बारे में जानेंगे।
दरअसल इस तरह का तकनीक का इस्तेमाल पोस्ट को पब्लिश कर देने के बाद होता है और साईट रैंक को इम्प्रूव करने के लिए भी इस पर भी काम करना बहुत जरुरी है।
Off-Page SEO has to do with promotion methods – beyond website content –for the purpose of ranking a website higher in the search results.
—ReliableSoft Blog
ऑफ-पेज एसईओ को प्रचार विधियों के साथ करना है – वेबसाइट सामग्री से परे – खोज परिणामों में वेबसाइट को उच्चतर रैंकिंग देने के उद्देश्य से।
—Translated
तो ऊपर दिए गए एक्साम्प्ल से से ऑफ पेज seo के बारे में तो पता चल गया होगा और अब भी नहीं समझें तो फिर बता दूँ ऑफ पेज seo का काम होता है प्रमोशन करना ताकि साईट सर्च पेज में सही तरीके से रैंक करें और बेहतर ट्रैफिक भी मिल सके।
और इसके लिए जिस तरीके का इस्तेमाल होता है, वह है:
Commenting
वैसे किसी साईट के पोस्ट पर कमैंट्स करने से सर्च रैंकिंग में कोई फायदा तो नहीं मिलता है, पर इससे ट्रैफिक बढ़ने का सम्भावना होता है।
और जब ट्रैफिक अलग-अलग सोर्स (ब्लॉग या वेबसाइट) से आता है, तो इससे गुड सिग्नल सर्च इंजन के पास जाता है और और साईट का अथॉरिटी बढ़ता है।
और एक बार जब अथॉरिटी बढ़ना शुरू होता है, तो सर्चिंग भी इम्प्रूव होता है और फिर इससे भी ट्रैफिक बढ़ता है।
तो यहाँ पर असल बात यह ही सिंपल कमेंट से तत्काल कोई फायदा नहीं होता है, पर भविष्य में कारगर जरूर होता है।
लेकिन इसके कुछ नुकसान भी है। जैसे नए साईट को इस तरह के स्टंट से फायदा मिलता है और पुराने को नुकसान।
कमैंट्स के दौरान जब कोई साईट लिंक जोड़ा जाता है, तो इसे स्पैम लिंक कहते है और इस तरह का लिंक दोनों तरफ के ब्लॉग को नुकसान पहुँचाता है। इसलिए कई फेमस साईट जैसे Moz और NBT न्यूज़ साईट लिंक वाले कमेंट को allow नहीं करता है।
Link Exchanging
जैसे आपके पर ब्लॉग मोबाइल रिव्यु किया जाता है, तो आप किसी दूसरे ब्लॉग जिसका टॉपिक भी मोबाइल रिव्यु पर हो) उसका link अपने साईट में mention कर सकते है।
इसके बाद जिस ब्लॉग का link आपने इन्सर्ट किया है, उसके ओनर को आपके साईट का link जोड़ने के लिए रिक्वेस्ट कर सकते है।
इस प्रोसेस को ही लिंक एक्सचेंजिंग कहते है, लेकिन गूगल पॉलिसी यह खिलाफ है, क्योंकि इसका कहना है लिंक किसी पोस्ट से प्रभावित होके बनना चाहिए, एक्सचेंज करने के वजह से नहीं।
और जब भी किसी और साईट का लिंक आप जोड़ना चाह रहे है, तो सीधा domain name की जगह, किसी पोस्ट का यूआरएल ही जोड़े तो बेहतर होगा।
Guest Posting
किसी ऐसे साईट जिसका (डोमेन और पेज अथॉरिटी) ज्यादा हो, उसपर गेस्ट पोस्टिंग करने से बहुत फायदा मिलता है।
सबसे पहले तो गेस्ट पोस्टिंग के बारे में आपको जानकारी होना चाहिए, अपना कोई पोस्ट किसी दूसरे ब्लॉग में सबमिट करना ही गेस्ट पोस्टिंग कहलाता है।
जिस ब्लॉग का अथॉरिटी ज्यादा होता है, वह सर्च पेज में बेहतर तरीके से रैंक करता है और रैंक कर रहा है, तो जाहिर है ट्रैफिक भी ज्यादा आता होगा।
तो अगर इस तरह के ब्लॉग पर आप अपना कोई पोस्ट सबमिट करते है, तो वह ब्लॉग आपके इनफार्मेशन (author name, domain) पोस्ट के लास्ट या शुरू में दिखाता है और इससे do-follow link मिलता है और इस तरह का लिंक डायरेक्ट साईट के अथॉरिटी को बढ़ाने में सहायक होते है।
और उस साईट से सीधा ट्रैफिक आने की पूरी संभवना होता है।
लेकिन यहाँ पर एक बात पर ध्यान देना जरुरी है:
- एक ही साईट पर ज्यादा पोस्ट पब्लिश करने से बचे, एक-दो पोस्ट काफ़ी है। क्योंकि इससे गूगल वेबमास्टर या दूसरे को लगेगा कि आप paid post कर रहे है।
- जिस भी ब्लॉग में गेस्ट पोस्टिंग करने जा रहे है, उसका टॉपिक आपके ब्लॉग से मैच करना चाहिए।
- साथ ही भाषा भी मैच करना चाहिए।
Social Sharing
ब्लॉग परफॉरमेंस को बेहतर करने से लिए अपने सभी (पुराने और नए) को लगातार सोशल मीडिया साइट्स (फेसबुक और ट्विटर) पर शेयर करते रहना चाहिए।
और कोशिश करना चाहिए यहाँ से अच्छा ट्रैफिक मिलने का क्योंकि इस तरह के साईट का अथॉरिटी बहुत ज्यादा होता है और इसी वजह से आपके ब्लॉग विजिबिलिटी भी इम्प्रूव होता है।
सिर्फ शेयर कर देने से यहाँ से ट्रैफिक नहीं मिलने वाला है, इसलिए सोशल साईट पर ज्यादा एक्टिव रहे ज्यादा रियल फ्रेंड्स बनाने का कोशिश करें और उसके post पर कमैंट्स भी करें।
Submit in Google News
अपने साईट को अच्छे ट्रैफिक पाने के लिए गूगल न्यूज़ पर भी सबमिट करें क्योंकि यहाँ से भी अच्छा ट्रैफिक आपको मिल सकता है।
Local SEO
जहाँ तक बात है ब्लॉग का, तो वो ठीक पर आपके पास कोई फिजिक्स स्टोर जैसे बुक शॉप, शॉपिंग साइट या कोई सर्विस साइट है, तो आप लोकल Seo का भी फायदा उठा सकते है।
जैसे अगर आपको किसी किराने दुकान से मिल्क खरीदना है, तो आप अपने बाजार में दुकान दुकान जाकर इसे खोजने के बजाए।
गूगल में milk near me सर्च करते है।

तो कुछ स्टोर आपके सामने दिखना शुरू हो जाता है और ऐसा तब होता है, जब कोई अपने बिजनेस को google my business में सबमिट करता है।

इसके अलावा कुछ साइट भी दिखाता है, जो ऑनलाइन किराना सामान बेचने का काम करता है।
Conclusion
तो यह था seo के बारे में। वैसे तो मैंने बस बेसिक जानकारी ही आपके साथ शेयर किया है क्योंकि seo कभी आसान नहीं रहा है।
यहाँ हर रोज अपडेट होते रहते है। आगे से में ऑफ पेज seo, ऑन पेज seo, मेटा डिस्क्रिप्शन, कीवर्ड पर भी अच्छा पोस्ट पब्लिश करने कि जल्दी पूरी कोशिश करूँगा।
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अब अंत में मेरे इस पोस्ट को पढ़ने के लिए बहुत धन्यवाद।
मुझे हमेशा से लिखना और पढ़ना पसंद है और इसी वजह से इस ब्लॉग को बनाया है। यहाँ पर मैं ब्लॉगिंग और मनी मेकिंग जैसे टॉपिक पर लगातार बेहतरीन पोस्ट लिखता हूं।